मंडी डबवाली हरयाणा HPS के प्रांगण में जलियांवाला बाग शताब्दी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित, अमर शहीदों को की श्रद्धांजलि अर्पित By Gurvinder Pannu Posted on April 14, 2019 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print मंडी डबवाली———– डबवाली के हरियाणा पब्लिक स्कूल के प्रांगण में जलियांवाला बाग शताब्दी दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं ने देश भक्ति पर कार्यक्रम प्रस्तुत कर अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। देश भक्ति के गीतों में ‘होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो´, ‘मेरा रंग दे बसंती चोला´ आदि गीत प्रस्तुत किए गए। संस्था के प्रधानाचार्य रमेश आचार्य ने मंच संचालन की भूमिका अदा की। प्रो. अमित बहल, रंग कर्मी संजीव शाद, केशव शर्मा ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन द्वारा दी गई कुर्बानियों पर अपने विचार रखे। अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन पंजाब प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेंद्र सिंगला ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज भारत सरकार द्वारा जलियांवाला बाग शताब्दी के अवसर पर अमर शहीदों की स्मृति में डाक टिकट एवं 100 रुपए का सिक्का जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई है जो कि सराहनीय है। उन्होंने कहा कि बड़े ही दुख का विषय है कि ब्रिटिश सरकार द्वारा आज तक भी जलियांवाला बाग नरसंहार को लेकर माफी नहीं मांगी गई। ब्रिटिश सरकार से इस कांड को लेकर माफी मंगवाने के लिए भारत के प्रधानमंत्री को एक मांग पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि जब भी ब्रिटिश सरकार माफी मांगे तो उस माफी पत्र की प्रतियां जलियांवाला बाग एवं गांव के पंचायत घर से लेकर राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री कार्यालय तक लगाई जाए ताकि आने वाले लोगों को इस नरसंहार के बारे में पता चल सके। उन्होंने जनरल डायर का बदला लेने के लिए सरदार उद्यम सिंह द्वारा दी गई कुर्बानी को भी नमन करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में उद्यम सिंह की कुर्बानी भी अमर शहीदों की गाथा का श्रृंगार साबित हुई है। इस कार्यक्रम से पूर्व जलियांवाला बाग शताब्दी दिवस के अवसर पर वरिष्ठ नागरिक कल्याण संघ द्वारा शहीदी चौक में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। जिसमें नेहरू सीनियर सैकेंडरी स्कूल एवं हरियाणा पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने शहीदों के बलिदान को लेकर लिखे नारों की तख्तियां हाथों में लेकर वंदे मातरम, अमर शहीद जिंदाबाद-जिंदाबाद के नारों की गूंज के बीच शहीदी चौक में स्थापित शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव की प्रतिमाओं पर पुष्प वर्षा कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। 13 अप्रैल 1919 में जलियांवाला बाग में जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे लोगों पर चलाई गई गोलियों एवं भगदड़ के कारण कुएं में गिरकर शहीद हुए सभी भारतीय देश भक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गौसवा आयोग हरियाणा के सदस्य रामलाल बागड़ी, पंजाब नेशनल बैंक फाजिल्का के चीफ मैनेजर परमजीत कोचर, डबवाली कूड़ा संघर्ष समिति के प्रतिनिधि विजयंत शर्मा, जिला शिकायत एवं कष्ट निवारण कमेटी के सदस्य सतीश जग्गा ने कहा कि ऐसे महान देश भक्तों की कुर्बानियों के कारण ही गुलाम भारत को आजादी प्राप्त हुई है। उनकी कुर्बानी को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। ऐसे अमर शहीद सदैव समय-समय पर याद किए जाते रहेंगे। जिन्होंने अपने प्राण भारत माता की रक्षा करते हुए कुर्बान कर दिए। हम ऐसी महान आत्माओं को बार-बार नमन करते हैं। श्रद्धांजलि सभा के पश्चात शहीदी चौक में पहुंचे सभी लोग मेन बाजार से ऐतिहासिक वंदे मातरम यात्रा लेकर निकले। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर एचपीएस स्कूल के प्रांगण में पहुंचकर इस यात्रा का समापन हुआ। हरियाणा पब्लिक स्कूल की शिक्षा निदेशिका सुजाता सचदेवा ने यात्रा में शामिल सभी अतिथिगणों का स्वागत किया। इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय युवा वैश्य महासम्मेल पंजाब प्रदेश के अध्यक्ष सौरभ गर्ग बंटी, सोम प्रकाश, वेद भारती, मदन लाल बांडी, प्रेम खुराना, चुन्नी लाल, सुरेंद्र मित्तल, मोहन लाल बठला, जगदीश खुरमी, दिलबाग सचदेवा, नंबरदार जयदयाल मेहता, युवा रक्तदान सोसायटी के अध्यक्ष हरदेव गोरखी, श्री अग्रवाल महासभा के अध्यक्ष पवन गार्गी, अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के सलाहकार सुभाष मित्तल, पूर्व पार्षद दविंद्र मित्तल, रूपिंद्र गोयल, इंद्रजीत गर्ग, तरसेम गर्ग, वरच्युस क्लब के अध्यक्ष सोनू बजाज, नरेश सेठी, मा. नत्थू राम सिंगला, लविश अरोड़ा, अमन भारद्वाज सहित बड़ी संख्या में शहरवासियों ने उपस्थित होकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और राष्ट्रीय गान के साथ समापन किया गया। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
डबवाली के देसुजोधा से पकड़ा गया 20 लाख का डोडा पोस्त, नरमे के कमरे में मिले कट्टे डबवाली 6 फरवरी । पुलिस अधीक्षक डबवाली सिद्धांत जैन ने बताया …
पंजाब जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल, 1000 हजार मौतें, 2000 हजार हुए थे घायल, दर्द-ऐ-दास्ताँ 13 अप्रैल