Home सिरसा मंडी डबवाली चिकित्सकों ने डबवाली में कैंडल मार्च निकालकर हैवानियत का शिकार हुई कोलकाता निर्भया को दी श्रद्धांजलि

चिकित्सकों ने डबवाली में कैंडल मार्च निकालकर हैवानियत का शिकार हुई कोलकाता निर्भया को दी श्रद्धांजलि

चिकित्सकों ने डबवाली में कैंडल मार्च निकालकर हैवानियत का शिकार हुई कोलकाता निर्भया को दी श्रद्धांजलि
डबवाली
कोलकाता में ट्रेनी महिला चिकित्सक से दुष्कर्म व हत्या की घटना को लेकर लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। डबवाली में शनिवार देर शाम को विशाल कैंडल मार्च निकाला गया। इसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, इंडियन डेंटल एसोसिएशन, नेशनल इंटिग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन, आयुष एसोसिएशन से जुड़े तमाम चिकित्सकों के अलावा लैब एसोसिएशन व कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह कैंडल मार्च आईएमए प्रधान डा. मुकेश गोयल, आईडीए प्रधान डा. मनमीत गुलाटी व नीमा के प्रधान डा. डीडी सचदेवा के नेतृत्व में कॉलोनी रोड, बस स्टैंड से होते हुए सिल्वर जुबली चौक तक पहुंचा। यहां सभी ने हैवानियत की उपरोक्त घटना की कड़ी निंदा करते हुए एकजुटता के साथ अपना विरोध दर्ज करवाया। सभी ने दरिंदगी का शिकार हुई महिला चिकित्सक के न्याय की मांग को बुलंद किया।
इससे पहले शनिवार को डबवाली व किलियांवाली में सभी निजी अस्पताल व डेंटल क्लीनिक्स पूरी तरह बंद रहे। दोपहर के समय सभी चिकित्सकों ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। इसमें कहा गया कि चिकित्सकों के सभी संगठन कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल कोलकाता में हुए बर्बर कृत्य पर अपना दुख और पीड़ा व्यक्त करती है। सिस्टम की नाकामी के कारण एक युवा प्रशिक्षु डॉक्टर ‘कोलकाता निर्भया’ की जान चली गई। चिकित्सकों द्वारा किया गया विरोध न केवल उनकी बहादुर आत्मा को श्रद्धांजलि देने के लिए है, बल्कि बदलाव करने के लिए भी है ताकि भविष्य में ऐसा कृत्य दोहराया न जाए।
ज्ञापन में उठाई ये मांगें:
ज्ञापन में सरकार से मांग की गई कि कोलकाता निर्भया को न्याय देने के लिए सीबीआई को फास्ट ट्रैक आधार पर जांच पूरी करनी चाहिए और दोषियों को शीघ्र और अधिकतम सजा दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार से चिकित्सा प्रतिष्ठानों और कर्मियों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम 2019 के मसौदे पर विचार करने और इसके लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की अपील। इससे अस्पतालों में हिंसा में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ त्वरित मामला दर्ज करने और मुकदमा चलाने को सुनिश्चित किया जा सकेगा।   हम पूरे भारत में रेजिडेंट डॉक्टरों को तर्कसंगत ड्यूटी घंटों और मानवीय और सुरक्षित कामकाजी माहौल के लिए उनके संघर्ष में भी समर्थन देते हैं। हम सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन और संकाय से अनुरोध करते हैं कि वे अपने बच्चों की तरह उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करें।

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