मंडी डबवाली सिरसा स्कूल HPS स्कूल में प्रिंसिपल ने दिया बाल दिवस पर बच्चों को यादगार तोहफा By Gurvinder Pannu Posted on November 14, 2019 Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print जवाहर लाल नेहरु बच्चों को राष्ट्र का निर्माता कहते थे। जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में हुआ था। 1930 और 1940 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। हर साल की इस साल भी देश जवाहर लाल नेहरू के जन्मदिवस पर बाल दिवस मना रहा है। इस साल हम जवाहर लाल नेहरू की 130 जयंती मना रहे हैं। बच्चों में पंडित जवाहर लाल नेहरू खासे प्रिय थे। बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इसके अलावा वो एक विद्वान और लेखक भी थे। जवाहर लाल नेहरू का कहना था कि हम वास्तविकता में क्या हैं वो और लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं उससे कहीं अधिक मायने रखता है। ये विचार एचपीएस सीनियर सैकंडरी स्कूल में आयोजित बाल दिवस के कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा निदेशिका सुजाता सचदेवा ने कहे। जो व्यक्ति भाग जाता है वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है। विफलता तभी होती है जब हम अपने आदर्शों, उद्देश्यों और सिद्धांतों को भूल जाते हैं। महान विचार और छोटे लोग कभी भी एक साथ नहीं रह सकते। इस अवसर पर नाना प्रकार की फन गेम्ज़ का आयोजन किया गया। नर्सरी से 5वीं तक के बच्चों ने जलेबी रेस का आनंद लिया वहीं 6टी से 12वीे तक के छात्रों और छात्राओं की टीमों के बीच में गणित क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें लड़कों की टीम में से ग्याहरवीं के ब्रिजेश, आर्यन व नौवीं कक्षा के अभिजीत की टीम ने गुरफतेह सिंह सिधू, तृप्त सचदेवा व जश्न की टीम को 710 रनों के पहाड़ जैसे लक्ष्य को 17वें ओवर में पुरा कर मैच को अपनी झोली में डाला। छात्राओं की टीम में से दशम् की पूर्णिमा, ग्याहरवीं की जश्न व दशम् की रमनीक की टीम ने बाहरवीं की दुविन्द्र कौर, कमलदीप कौर व जश्नप्रीत कौर को 120 रनों से हराया। विद्यालय निदेशक व प्रिंसीपल आचार्य रमेश सचदेवा ने कहा कि बचपन जीवन की सभी अवस्थाओं में से महान् है क्योंकि बचपन में ना कोई द्वेष होता है और न ही घृणा। बचपन में हर कोई जल्दी से माफ कर अपनी दोस्ती को पुनः प्यार में बदल देता है। इसलिए तो शायर ने कहा है कि ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी। इस अवसर पर खेल शिक्षक अमनदीप सिंह, गणित के लैक्चरार सुमित पाल सिंह, फिजिक्सके गौरव कुमार, रूपिंद्र कौर व पंजाबी के बलजिंद्र सिंह ने तथा सोमा रानी, गीता रानी, परमजीत कौर, ममता रानी, सुखमंदर कौर, रीतिका, सुखवीर कौर, सरोज रानी, गरिमा, छिंद्रपाल कौर, नवजोत कौर, मोनिका, आशा रानी, पूजा रानी व अजय वधावन ने अहम् भूमिका निभाई। Facebook WhatsApp Twitter Email LinkedIn Print
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